म्यूच्यूअल फण्ड क्या है और कौन से फण्ड देंगे बेहतर रिटर्न

12 February, 2019 Views - 1322

म्यूच्यूअल फण्ड क्या है?

यह एक पेशेवर तरीके से मैनेज किये जाना वाला निवेश फण्ड होता है जहां पैसा कई तरह के निवेशको से इकटठा किया जाता है और उसे शेयर / बांड्स / एसेट्स खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। म्यूच्यूअल फण्ड में निवेशक कोई व्यक्ति भी हो सकता या फिर कोई संस्था भी।

इसकी शुरुआत भारत में कब हुई ?

इसकी शुरुआत भारत में 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया की स्थापना के बाद हुई जिसकी पहल भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने की थी। 1987 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और 1993 में प्राइवेट कंपनियो ने इसमें कदम रखा। उसके बाद से म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियो की ग्रोथ भारत में बहुत तेज़ी से हुई है और आज भारतीय म्यूच्यूअल फण्ड इंडस्ट्री की कारोबार कीमत (AUM) लगभग 24 लाख करोड़ हो गयी है।

म्यूच्यूअल फण्ड के टाइप्स ?

म्यूच्यूअल फण्ड के बहुत से टाइप है और किसी भी फण्ड का टाइप निर्भर करता है उसकी इवेस्टमेंट पर , सीधे शब्दों में कहे तो जैसा निवेश वैसा उसका टाइप बन जाता है। आइये कुछ मुख्य तरह के म्यूच्यूअल फण्ड की चर्चा करते है।

  • मनी मार्किट फण्ड –ऐसे फण्ड जहां पर लघु सीमा के लिए फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है जैसे ट्रेजरी बिल , कमर्शियल पेपर इत्यादि। ये बहुत सेफ होते है पर इसका रिटर्न दुसरे म्यूच्यूअल फण्ड के मुकाबले काफी कम होता है।
  • फिक्स्ड इनकम फण्ड – ऐसे फंड्स जहां पैसा ऐसे बांड्स या एसेट्स में लगाया जाता है जहां से आपको फिक्स रेट में ब्याज मिलता रहे जैसे गवर्नमेंट बांड्स या कॉर्पोरेट बांड्स इत्यादि। ये फण्ड भी काफी सेफ होता है।
  • इक्विटी फण्ड – ऐसे फण्ड जो अपना लगभग 90% हिस्सा शेयर/सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करते है उन्हें इक्विटी फण्ड कहते है। इसका रिटर्न मनी मार्किट और फिक्स्ड इनकम फण्ड के मुकाबले काफी ज्यादा होता है पर इसमें रिस्क फैक्टर भी अधिक है, इतना की आप अपना लगभग पूरा पैसा भी गवा सकते है।
  • बैलेंस्ड फण्ड – ऐसा फण्ड जो इक्विटी और फिक्स्ड इनकम दोनों में इन्वेस्ट करे उसे हम बैलेंस्ड फण्ड कहते है इसका मुख्य उधेश्य होता है रिस्क को कम करना और रिटर्न को बढ़ाना। इसका रिस्क लेवल फिक्स्ड इनकम फण्ड से ज्यादा और इक्विटी फण्ड से कम होता है।
  • इंडेक्स फण्ड – ऐसा फण्ड जो किसी इंडेक्स को ट्रैक करता है और उस इंडेक्स में मौजूद सभी स्टॉक में इंडेक्स की तरह समान रूप इन्वेस्ट करता है उसे इंडेक्स फण्ड या एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड (ETF) भी कहते है जैसे S P 500 इंडेक्स फण्ड। ये फण्ड उन निवेशकों के लिए सही है जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते और उम्मीद के मुताबिक रिटर्न चाहते है। ऐसे फंड्स को लगातार और व्यापक रूप से नज़र रखने की जरूरत नहीं होती इसलिए इन्हें पैसिव मैनेज्ड फण्ड भी कहते है।
  • सेक्टर फण्ड – ऐसा फण्ड जहां पर किसी एक विशेष बिजनेस या सेक्टर के स्टॉक/शेयर में ही इन्वेस्ट किया जाये उसे सेक्टर फण्ड कहते है। जैसे टेक्नोलॉजी ,हेल्थ केयर सेक्टर फण्ड इत्यादि।

क्या म्यूच्यूअल फण्ड में फीस लगती है ?

जैसे की हम जानते है ये फंड्स कंपनियो द्वारा चलाये जाते है और इन्हें हम एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) भी कहते है। इन AMCs के पास सूचना और साधनों का बड़ा भण्डार होता है जबकि एक व्यक्ति, निवेशक के रूप में इस स्तर की सूचना और साधन नहीं जुटा पाता है। अच्छे रिसोर्सेज होने की वजह से ये AMCs अपने ग्राहकों को इन्वेस्टमेंट में विविधता देती है जिससे निवेश में रिस्क फैक्टर कम हो जाता है और अच्छा रिटर्न मिलने के अवसर बढ़ जाते है।

AMCs अपने ग्राहकों से इसके लिए सर्विस फीस और कमीशन लेती है। सर्विस फीस आपको वार्षिक देनी होती है और कमीशन आपसे म्यूच्यूअल फण्ड खरीदते या फिर बेचते समय ली जाती है। अधिकतर AMCs आपसे खरीदते समय कोई कमीशन नहीं लेते पर अगर आप इन्वेस्टमेंट डेट से 12 महीने पहले ही फण्ड बेच देते हो तो आपको कमीशन देनी पड़ती है और इसे एग्जिट लोड भी कहते है।

म्यूच्यूअल फण्ड कैसे काम करता है ?

फण्ड कंपनिया लोगो और संस्थायो से पैसा इकट्ठा करती है और उसे शेयर / बांड्स / एसेट्स में लगाती है इस आशा के साथ की वो वहां से फायदा कमाएंगे। फण्ड कंपनिया जहां पैसा लगाती है उस शेयर/बांड्स/एसेट के घाटे या फायदे पर म्यूच्यूअल फण्ड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) निर्भर करती है। नेट एसेट वैल्यू (NAV) म्यूच्यूअल फण्ड की मार्किट शेयर वैल्यू को दर्शाती है। जब कोई निवेशक फण्ड में निवेश करता है तो उसे इसी NAV कीमत पर फण्ड के शेयर, कंपनी द्वारा दिए जाते है। फण्ड की नेट एसेट वैल्यू भी शेयर की तरह हर दिन बदलती रहती है।

म्यूच्यूअल फण्ड के फायदे ?

  • यह फण्ड पेशेवर फण्ड मेनेजर द्वारा मैनेज किये जाते है जिस वजह से रिस्क फैक्टर कम हो जाता है और अच्छा रिटर्न मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • म्यूच्यूअल फण्ड आपको अलग अलग सेक्टर में इन्वेस्ट करने का मौका देता है।
  • इसमें इन्वेस्टर कम से कम 500 रुपये से भी शुरू कर सकता है।
  • कुछ म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट आपको टैक्स बचाने में भी सहायता करते है।
  • म्यूच्यूअल फण्ड आप किसी भी बेज़िनेस वाले दिन खरीद/बेच सकते हो।

म्यूच्यूअल फण्ड के घाटे ?

  • जब भी हम म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करते है तो हमारा फायदा और घाटा फण्ड मेनेजर के प्रतिभा और अनुभव पर निर्भर करता है।
  • हमेशा फण्ड में इन्वेस्ट करने से पहले फण्ड मेनेजर का परफोर्मेंस रिकॉर्ड चेक करना पड़ता है।
  • म्यूच्यूअल फण्ड पर तरह तरह की फीस लगाईं जाती है चाहे फण्ड अच्छा परफॉर्म करे या नहीं, जिस से रिटर्न कम हो जाता है।
  • लगभग सभी म्यूच्यूअल फण्ड में अगर आप 12 महीने से पहले बेचते है तो आपको बेचने की कमीशन चुकानी पड़ती है जिसे मुनाफा कम हो जाता है।

क्या म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करना चाहिए ?

म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट मार्किट रिस्क के अधीन होते है और अक्सर कम समय अवधि में इन्हें काफी अस्थिरता से गुजरना पड़ता है और जब हम लम्बे समय तक इसमें इन्वेस्ट करते है तभी फण्ड की औसत वैल्यू को कम कर पाते है जिस वजह से हम अपनी इन्वेस्टमेंट पर 10-12% वार्षिक रिटर्न ले पाते है।

इसमें इन्वेस्ट करने का निर्णय पूरी तरह से निर्भर करता है आपकी जोखिम लेने की क्षमता और निवेश के लक्ष्य पर, इसमें निवेश तभी फलदायक हो सकता है अगर आपके पास कम से कम 5 से 10 साल तक का निवेश समय हो।


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