शिकारी माता मंदिर का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य l


शिकारी माता मंदिर का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य l

24 August, 2020 Views - 2185

मंडी (हि प्र) का यह मंदिर करसोग, जनजेलही घाटी में एक उच्चे शिखर पर 11000 फ़ीट की उचाई में स्थित है. मगर सबसे हैरत वाली बात ये कि मंदिर पर छत नहीं लग पाई। कहा जाता है कि कई बार मंदिर पर छत लगवाने काम शुरू किया गया। लेकिन हर बार कोशिश नाकाम रही। यह माता का चमत्कार है कि आज तक की गई सारी कोशिशें भी शिकारी माता को छत प्रदान न कर सकी |

माता शिकारी देवी नाम कैसे पडा – जिस जगह पर यह मंदिर है, वह बहुत घने जंगल के मध्य में स्थित है। अत्यधिक जंगल होने के कारण यहाँ जंगली जीव-जन्तु भी बहुत तादाद में हैं ।

पुराने जमाने में लोग शिकार करने के लिए इस घने जंगल में आया करते थे और पहाड़ की चोटी पर जहाँ माता का मंदिर है, वहीँ से जंगल में शिकार का जायजा लेते थे | कभी-२ मन्दिर में जाकर माँ को प्रणाम करते और आग्रह करते कि आज कोई अच्छा शिकार हाथ लगे, कई बार शिकारियों की मुराद भी पूरी हो जाती थी, तब तक यहाँ का नाम शिकारी नहीं था ।

लोग अक्सर शिकार की तलाश में आते रहते थे, तो यह स्थान शिकारगाह में ही तब्दील हो गया, शिकार वाला जंगल होने के कारण, लोगों ने इसे शिकारी कहना शुरू कर दिया. धीरे-2 यहाँ स्थापित दुर्गा माँ भी शिकारी माता के नाम से जानी जाने लगी और प्रसिद्ध हो गई ।

मान्यता है कि आंखों में कोई बीमारी होने पर अगर शिकारी माता को बनावटी आंख चढाई जाए तो आंखों की बीमारी ठीक हो जाती है। लाखों लोग हर साल आखें ठीक होने पर शिकारी माता मंदिर में चांदी की आखें चढ़ाते हैं।

शिकारी माता मंदिर का इतिहास – मार्कण्डेय ऋषि ने मंदिर वाली जगह पर वर्षो तक माँ दुर्गा की तपश्या करी तथा माँ दुर्गा ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें शक्ति के रूप में दर्शन दिया व यहां स्थापित हुई

इसके बाद पांडव अपने अज्ञातवास के समय यहा आये थे तथा उन्होंने शक्ति रूप में विध्यमान माता की तपस्या करी जिस से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें महाभारत के युद्ध में कौरवो से विजयी प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया पांडव ने यहा से जाते वक्त माँ के मंदिर का निर्माण किया परन्तु यह कोई भी जानता की आखिर इस मंदिर के छत का निर्माण पांडवो द्वारा क्यों नही किया गया

शिकारी माता मंदिर आने का समय- शिकारी देवी मंदिर आने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का मौसम है 

शिकारी माता मंदिर प्रमुख शहरों से मंदिर की दूरी

मंडी-80KM

कुल्लू -155KM

मनाली-200KM

शिमला-180KM

धर्मशाला-240KM


Temple   Culture   2185

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