हनुमान मंदिर जाखू शिमला


हनुमान मंदिर जाखू शिमला

26 February, 2022 Views - 8799

प्राचीन जाखू मंदिर शिमला शहर की सबसे ऊंची चोटी जाखू पहाड़ी पर स्थित है। कहा जाता है कि जब राम रावण के युद्ध में लंका में मेघनाथ ने लक्ष्मण को शक्ति बाण से मूर्छित कर दिया था उसे बचाने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय पर्वत पर भेजा गया। हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय पर्वत की ओर जा रहे थे तो अचानक उनकी दृष्टि जाखू पर्वत पर तपस्या में लीन यक्ष ऋषि पर पड़ी। कालांतर में उनके नाम पर ही स्थान का नाम जाखू पड़ा।

हनुमान जी जहां उतर गए और यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी का परिचय जाना हनुमान जी के वेग से जाखू पर्वत जो पहले काफी ऊंचा था आधा पृथ्वी के गर्भ में समा गया बूटी का परिचय प्राप्त करने के उपरांत श्री हनुमान जी अपने साध्य की प्राप्ति के लिए द्रोण पर्वत की ओर चले गए। जिस स्थान पर हनुमान जी उतरे थे वहां पर आज भी उनके चरण चिन्हों को मंदिर के पीछे एक कुटिया में संगमरमर से निर्मित कर सुरक्षित रखा गया है।
हनुमान जी ने यक्ष ऋषि को वापसी में इसी स्थान से लौटने का वचन देकर हनुमानजी मार्ग में कालनेमी के कुचक्र में फस गए और अधिक समय नष्ट होने के कारण श्री हनुमान जी छोटे मार्ग होते हुए अयोध्या चले गए उस समय ऋषि हनुमान जी के ना लौटने पर व्याकुल हो गए हनुमान जी ने ऋषि को दर्शन दिए और ना आने का कारण बताया।

उनके अंतर्ध्यान होने के तुरंत बाद हनुमान जी एक स्वयंभू मूर्ति प्रकट हुई जो आज भी मंदिर में विद्यमान है। यक्ष ऋषि ने हनुमान जी की स्मृति को विद्यमान रखने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया। तदोपरांत ऋषि अपनी चरण पादुकाएं स्मृति चिन्ह के रूप में यहां छोड़कर अदृश्य हो गए। तब से आज तक मंदिर यहां पर विद्यमान है।


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