29 September, 2020 | Views - 1870 |
आज भले ही चिकित्सा के क्षेत्र में भारत पश्चिमी देशों से पिछड़ गया है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी भारत में हुई ।
विद्वानों को भारत में 2500 वर्ष पहले होने वाली प्लास्टिक सर्जरी का प्रमाण मिल चुका है हालांकि उससे पहले भी भारत में सर्जरी की जाती थी लेकिन नालंदा और तक्षशिला में जलाई गई लाखों पुस्तकों के साथ साक्ष्य भी जला दिये गए ।
सुश्रुत संहिता में जिक्र है कि गालों या माथे से नाक के बराबर की स्किन काट कर उसका सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किया जाता था. सर्जरी के बाद किसी तरह का संक्रमण रोकने के लिए औषधियों के इस्तेमाल की सलाह दी जाती थी. इसके तहत नाक में औषधियां भरकर उसे रूई से ढंक दिया जाता था. अरबी विद्वानों ने सुश्रुत संहिता का 8वीं सदी में अरबी भाषा में अनुवाद हुआ, जिसके बाद ये पश्चिमी देशों तक पहुंचा. 14वीं और 15वीं सदी में इटलीवालों को इसकी जानकारी हुई. सदियों बाद साल 1793 में भारत प्रवास के दौरान दो अंग्रेज सर्जनों ने नाक की सर्जरी अपनी आंखों से देखी. ये तीसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध के दौरान की बात है. अगले साल लंदन की जेंटलमैन मैगजीन में इसका जिक्र भी हुआ. एक ब्रिटिश सर्जन जोसेफ कॉन्सटेन्टिन ने इस प्रक्रिया के बारे में पढ़ने के बाद 20 सालों तक लाशों के साथ इस प्रक्रिया की प्रैक्टिस की. इसके बाद असल ऑपरेशन किया गया जो कामयाब रहा. ये साल 1814 की बात है. पूरी दुनिया में नाक की सर्जरी के सुश्रुत के तरीके का ही संशोधित तरीका इस्तेमाल होता है, जिसे इंडियन मैथड के तौर पर जाना जाता है.सर्जरी के अलावा सुश्रुत संहिता में 11 सौ बीमारियों का जिक्र है. साथ ही उनके इलाज के लिए 650 तरह की दवाओं का भी उल्लेख है. ये बताती है कि चोट लगने पर खून के बहाव को कैसे रोका जाए, टूटी हड्डियां कैसे जोड़ी जाएं. सर्जरी के दौरान मरीज को बेहोश करने के लिए शराब के साथ कई तरह की औषधियां मिलाई जाती थीं.
सोचिये जिहादी आक्रमणों के पहले भारत क्या था ? क्या हमारी सभ्यता और धरोहरें अभी अपने मूल स्वरूप में हैं ? नहीं, क्योकिं उन्होंने हमसे ना केवल हमारा धन-दौलत लुटा बल्कि उन्होंने बौद्धिक इंटेलिजेंस भी छीन लिया फिर भी कुछ लोग कहते हैं कि मुगलों के समय भारत की GDP सर्वश्रेष्ठ थी ।
Rated 0 out of 0 Review(s)